प्रिये मगर ना अश्रु बहाना ,
आना -जाना क्रम दुनिया का ,
एक दिन जाना है सबको,
मरना है जब सबको एक दिन,
आज मरे क्यों रक्खे कल को.
अभी मेरी जब चिता जलेगी ,
लपटों औ ज्वालानल से,
मचेगा शमशान घाट पर -हाहाकार ,
विरह और रौद्र की ध्वनि से.
उन लपटों से दूर ही रहना,
अरे दूर तुम पास ना आना,
एक प्रशं मै तुमसे पूंछू ,
प्रिये मगर ना अश्रु बहाना ,
कहती हो की अभी तुम्हे ,
बिन देख नहीं जी पाती हूँ,
जिस रात ना आओ ख्वाबो में,
उस रात नहीं सो पाती हूँ.
सीधी सी है बात वो मेरे साथी ,
कुछ ही दिन मेरे जाने के हो जायेंगे,
ख्वाबो का महल ढहेगा ,
सच याद तुम्हे ना आयेगे .
मेरे होठो पर मत रक्खो ऊँगली ,
अभी मुझे कुछ और बताना ,
एक प्रशं मै तुमसे पूंछू ,
प्रिये मगर ना अश्रु बहाना ,
जग में कितने ही आये थे,
आकर के कितने जायेंगे ,
कहने वाले सच कहते है ,
जो आये है वो जांएगे.
तुम्ही नहीं केवल साथी ,
हर कोई मुझे भुला देगा,
यह जगह जहाँ हम बैठे है ,
कल क्या मुझको याद करेगा.
होस में हूँ मै नहीं नशे में ,
नहीं चाहता तुम्हे रुलाना ,
एक प्रशं मै तुमसे पूंछू ,
प्रिये मगर ना अश्रु बहाना ,
यमराज अभी जब आयेंगे ,
हम छोड़ तुम्हे तुब जायेंगे,
उन भूत प्रेत कंकालो में ,
कुछ लोग वहां मिल जायेंगे .
अब मेरे जाने की बारी है ,
अब नहीं रोकना ,
जब जाने वाले जाते है,
तब नहीं चाहिए उन्हें टोकना,
यह व्याकुलता ना मुख पर लावों,
हँस कर मुझे विदा दिलाना,
एक प्रशं मै तुमसे पूंछू ,
प्रिये मगर ना अश्रु बहाना ,
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें