क्षितिज
शनिवार, 5 मार्च 2011
तुम्हारी आँखों का.....
तुम्हारी आँखों का -मुझको ,समंदर याद आता है,
लब से छु गये थे लब, वो मंजर याद आता है.
वो मंजर याद आता है, मै सब कुछ भूल जाता हूँ ,
तुम्ही को गा रहा हूँ मै,तुम्ही को गुनगुनाता हूँ.
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