शनिवार, 13 नवंबर 2010

हाँ तुम !

तुम्हारे नील -झील से नैन ,
और लहराते काले बाल,
तुम्हारी मन-मोहक मुस्कान ,
हमारी आँखों का व्यवहार .

तुम्हारे नयन -नक्श विशाल ,
तिस पर अरे ओढ़नी  लाल,
 हवा से उड़े ओढ़नी लाल,
हवा का बन जाऊ , मै काल.

तुम्हारे नील -झील से नैन ,
और लहराते काले बाल.

पंडित जी कि हुई पिटाई

पंडित जी हाँ चोटी वाले,
लम्बा कुर्ता, धोती वाले,
पंडित जी चमड़ी के गोरे,
बुद्धि में थे कागज कोरे .

पंडित जी के सर पर चुटिया,
संग अपने रखते थे लुटिया,
पंडित जी संग मेरे रहते,
गर्ल- वर्ल की बाते करते.

पंडित जी ने व्यथा बताई,
एक कन्या की कथा सुनाई,
पंडित जी ने दाव लगाया,
उस कन्या को मुक्षे दिखाया.

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कन्या मालिक की बेटी थी,
पहले माले पर रहती थी ,
पंडित जी ने प्रीत जताई,
कन्या मंद- मंद मुस्काई.

कन्या सीढ़ी से जब आई,
पंडित जी ने बात बनाई ,
कन्या सच  में वंडर थी,
क्यूट और अतिसुंदर थी.

कन्या कॉलेज में पढ़ती थी,
बाते इंग्लिश में करती थी,
कन्या के संग एक फ्रंडा  था,
सकल से दिखता गैंडा था.

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(पंडित जी  प्यार में गिर चुके थे. उन्हें सहारे कि जरुरत थी .
मैंने कंहा पंडित जी आप स्मार्ट है . धोती कुर्ता और चुटिया
 में खूब  फबते है, आप के अंदर भारतीयता है , नातिकता है,
 पर आधुनिकता नहीं है.आप को आधुनिक बनना होगा.  )

पंडित जी ने चोटी बदली ,
कुर्ता और लगोंटी बदली ,
पंडित जी अब जींस- पैंट में,
चलते जैसे चले रैम्प में.

पंडित जी ने ऐनक पहनी,
अब दिल कि बाते है कहनी,
पंडित जी ने पुष्प मंगाया,
लव- लैटर  मुझ से लिखवाया.

पंडित जी थे बड़े पुजारी,
जप राधा -स्वामी कृष्ण -मुरारी,
पंडित जी अब सुबह -सवेरे ,
नए प्यार में हाथ पसारे.

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(अब पंडित जी ,अपनी दिल की बात उस कन्या से कहते है.)

कन्या कटी मटकती आई,
पंडित जी क्या हुई सगाई ,
पंडित जी के होस उड़ गए,
कन्या के जो कदम बढ़ गए.

पंडित जी कहने को ठानी,
कन्या तेरी मस्त जवानी,
कन्या तेरा हूँ  दीवाना ,
आ मेरी बाहों में आना .

कन्या ने तब चीख लगाई ,
पंडित जी की हुई पिटाई.