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अपने मादक नैनों से पिला रही- मादक हाला.
भरी हुई मधु कि बोतल, औ भरा हुवा मधु का प्याला,
मुक्षको प्रेमी बना रही थी , मधुरम - मधुरुस -मधुशाला.
प्याले का आलिंगन कर , अधरों को चूमे मधुशाला ,
हर दिन - हर पल डोलू हर पल, लिए हुए मधु का प्याला .
तन्द्रा - निंद्रा रात्रि और दिन, सपनो में भी मधुशाला,
मै तो उसका बन बैठा था, प्रेमी- पागल- मतवाला .
अपने पुरखो की समाधी पर, बनवाई एक मधुशाला ,
नाते- रिश्ते बंधन भूला , याद रहा मधु का प्याला.
मेरे जीवन में बस था , मदिरालय- मधुरस- प्याला .
घुट - घुट कर मै रोता हूँ, फूट रही अंतरज्वाला.
बर्बादी को देख मेरी है , चिढ़ा रही मुझको हाला ,
मेरी लघुता पर हँस - हँस कर, झूम रही है मधुशाला.
तू बड़ी संगिनी है बाला , तू बड़ी रंगिनी है बाला ,
अनजान प्रेम था कर बैठा , बन गयी कंठ कि है माला .
तू लोक -लाज किसका करती , अरि बेहया-बेशर्म मधुशाला ,
छू लेती जब अधरों को ,है मर जाता पिने वाला .
जब मदिरालय खाली होगी , उस समय कंहा तू जाएगी ,
प्याले बोतल में पड़ी -पड़ी , अपनी करनी पर रोएगी .
मै मदिरालय से दूर चला ,री भस्म हो जा मधुशाला,
मानव बनने के लिए चला , ठुकराता हूँ तेरा प्याला .
तू बड़ी संगिनी है बाला , तू बड़ी रंगिनी है बाला ,
अनजान प्रेम था कर बैठा , बन गयी कंठ कि है माला .
तू लोक -लाज किसका करती , अरि बेहया-बेशर्म मधुशाला ,
छू लेती जब अधरों को ,है मर जाता पिने वाला .
जब मदिरालय खाली होगी , उस समय कंहा तू जाएगी ,
प्याले बोतल में पड़ी -पड़ी , अपनी करनी पर रोएगी .
मै मदिरालय से दूर चला ,री भस्म हो जा मधुशाला,
मानव बनने के लिए चला , ठुकराता हूँ तेरा प्याला .
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